बचपन के वो दिन - कहानी Class 10th की                                     



बचपन के दिन भी कितने सुहाने थे । दोस्तों के साथ हँसना मुस्कुराना स्कूल न जाने के बहुत से बहाने बनाना और समय मिलते ही खेलने के लिए गायब हो जाना , आज भी जब मैं बचपन की स्मृतियाँ याद करता हूँ तो दिल मंत्र मुग्ध हो जाता है । 

आज मैं आपको मेरी बचपन की एक ऐसी ही मीठी कहानी सुनाने जा रहा हूँ जो की शायद आपको अपने बचपन की याद जरुर दिला देगी 

ये कहानी है Class 10th के टेस्ट एग्जाम की गणित का परीक्षा चल रही थी और मेरी तैयारी कुछ ज्यादा ही अच्छी थी , आस  पास बैठे मेरे सहपाठियों ने 10 - 10 पेज भर दिए और एक हम थे जो पूरे क्लास में एक पेज लिख कर खुद को आर्यभट समझ बैठे थे । लेकिन जब टाइम ऑफ हुआ तो ऐसा लग रहा था की काश सिर्फ पांच मिनट और मिल जाता तो आज झंडा गाड़ ही देता , लेकिन हमारी मैडम कॉपी ऐसे छीन रही थी मानो यमराज जी स्वंय ही प्राण खींचने पधारे हो  । लेकिन अचानक मैडम ने कहा सब अपना कॉपी बेंच पे रखो मैं आती हूँ । अब थोड़ी जान में जान आई मैंने सोचा जैसे बीजगणित में सारे सवालों को मान के बनाया जाता है मैं भी मान लेता हूँ कि कॉपी मैंने जमा कर दी ये मानते हुए कॉपी जमा करने गया लेकिन बिना जमा किये ही क्लास से निकल गया 
उस वक्त ऐसा लग रहा था मानो कोई जंग जीत लिया हो और फिर मैंने चैन की सांस ली  

क्लास से निकलते ही दोस्तों ने पूछना शुरू कर दिया - कितना मार्क का लिखा बे ?
मैंने बोला - पहले तुमलोग बताओ 
किसी ने सौ में 90 तो किसी ने 100 में 99 बताया ऐसा लग रहा था जैसे सबने इस बार अपने अपने पापा का नाम रौशन कर दिया हो 



तभी रौशन नाम का मेरा एक दोस्त बोला - भाई तुम भी तो बताओ 
मैंने भी खुद की बड़ाई करते हुए 95 बोल दिया 
लेकिन घर जा के बस यही सोच रहा था की कही क्लास में पॉल खुल न जाए  

अब पापा मम्मी को भी रिजल्ट का इंतज़ार था फिर क्या दुनिया के सारे भगवान याद आने लगे किसकी शरण में जाऊ कुछ समझ नहीं आ रहा था 
दुसरे दिन क्लास न जाने का बहुत बहाना बनाया लेकिन दाल नहीं गली 

क्लास गया तो मैडम जी को देख कर यमराज याद आ रहे थे , अचानक मैडम जी ने बाहर बुलाके कहा की करण तुम्हारा कॉपी कही खो गई है 

मैंने नाटक करना शुरू कर दिया - अब क्या होगा मैडम जी पापाजी से क्या कहूँगा आज तो मेरी जान निकल जाएगी मैं क्या करू ?
मैडम - चिंता मत करो मैंने तुम्हारे नाम से कॉपी लिख दिया है और जो बचा है लिख लो जल्दी किताब से देख के और जो न हो पूछ लेना 
 उस वख्त ऐसा लगा दैवी माँ का दर्शन हो गया हो फिर रिजल्ट तो मेरा अच्छा आया लेकिन मेरे मित्रो का 40 से ज्यादा किसी का नहीं आया उस दिन के बाद अपने दोस्तों का हाल देख कर एक सीख मिला की आगे से पढाई करनी पड़ेगी नहीं तो मेरा हाल ऐसा ही रह जायेगा 

उसके बाद मैंने पढाई शुरू की और क्लास में सबसे आगे रहने लगा 

दोस्तों ये कहानी कैसी लगी जुरूर बताये और आप अपना कहानी भी हमें जरुर सुनाये निचे Comment करके धन्यवाद