Agar aap Amir banna chahte hai to aapko Richest mindset ki jarurat hai fir आप जो सोचोगे वही होगा आज हम इसी बारे में बात करेंगे 

Richest Mindset - जो सोचोगे वही होगा

Richest mindset for success
Richest mindset for success


जब आप होटल में खाना खाने जाते हैं तो वेटर से क्या कहते हैं ? “ मुझे एक कढाई पनीर , 2 गार्लिक नान , और एक जीरा राइस नहीं चाहिए ….” या फिर ,” मेरे लिए एक ठंडा माजा या कोकाकोला मत लाना ”
क्या आप ऐसे आदेश देते हैं … कि मुझे ये -ये चीजें नहीं चाहियें ? या फिर ये बताते हैं कि आपको क्या -क्या चाहिए खाने में??
जी हां , हर कोई यही कहता है कि उसे क्या चाहिए , ये नहीं कि उसे क्या नहीं चाहिए … अब कल्पना कीजिए अगर हम वेटर से कहते कि क्या नहीं चाहिए तो क्या वो हमारे पसंद की चीज ला कर दे पाता ? क्या वो हमारे “नहीं चाहिए ” से ये समझ पाता कि हमें “ क्या चाहिए ”…

 यही बात हमारे जीवन में भी लागू होती है …ये ब्रह्माण्ड एक ऐसी अद्भुत जगह है जहाँ हमारी हर एक इच्छा पूरी हो सकती है.
कैसे ?
हमारी सोच से !

Low Of Attraction in Hindi 


ये दरअसल एक नियम है जो किसी भी mathematical law की तरह एकदम सही है , हम इसे law of attraction यानी आकर्षण का नियम भी कहते हैं … इस बारे में मैं किसी अन्य आर्टिकल में आपको बताऊंगा अभी के लिए बस आप इतना समझिये और मन में बैठा लीजिये कि आपकी सोच ही आपकी दुनिया का निर्माण करती है .
पर ऐसा है तो हर कोई जो चाहता है वो कर क्यों नही लेता है ?
इसके दो महत्वपूर्ण कारण हैं :
हर कोई इस बात को लेकर clear नहीं है कि वो असल में चाहता क्या है।
और जिन्हें ये बात क्लियर है वे इस बारे में प्रबलता से विचार नहीं करते हैं .
अगर आप पहले पॉइंट पर ही अटकें हैं तो सबसे पहले इस बात की clarity लाइए कि आप चाहते क्या हैं ?एक बार जब आप इस बात को लेकर clear हो जाते हैं कि आप क्या चाहते हैं तो फिर बारी आती है उसे ब्रह्माण्ड से ऑर्डर करने की .
 

ब्रह्माण्ड से कैसे ऑर्डर कर सकते हैं ?

 
ब्रह्माण्ड से ऑर्डर करना बहुत आसान है …यहाँ हमारा ऑर्डर हमारी
सोच के द्वारा होता है …हम जो सोचते हैं उसे हमारा ऑर्डर मान लिया जाता है .
और यहीं हम ऑर्डर देने में वो गलती कर बैठते हैं जिसे हम होटल में करने की सोच भी नहीं सकते !!
हम वो ऑर्डर नहीं करते जो हमें चाहिए बल्कि वो करते हैं जो नहीं चाहिए . बस यहाँ इतना सा अंतर है कि होटल में वेटर समझ जाता था कि जो नहीं चाहिए वो मत दो ….पर ब्रह्माण्ड इतना विशाल और शक्तिमान है कि वो बिना दिए नहीं रहता …उसे तो कुछ न कुछ देना है …इसलिए ब्रह्माण्ड “नहीं ” नहीं समझता।
जब आप लगातार सोचते रहते हैं कि “ कहीं पैसे कम ना पड़ जाएं “ तो दरअसल ब्रह्माण्ड को एक ऑर्डर दे रहे होते हैं जिसे वो इस तरह सुनता है ,” ये आदमी चाहता है की इसके पास पैसे कम पड़ जाएं ” और आपके जीवन में उसे हकीकत के रूप में ले आता है …आप पैसों की और भी कमी महसूस करने लगते हैं .

दोस्तो , दरअसल हम इमेजेस के द्वारा सोचते हैं . और ब्रह्माण्ड ये मान कर चलता है की जो इमेज हम देख या सोच रहे हैं वही हम अपनी लाइफ में चाहते हैं , और उसे वो हमारे लाइफ की असलियत बना देता है .
तो जब आप “ पैसे कम ना पड़ जाएं “ सोचते हैं तो …दिमाग में पैसे कम होने की इमेज बनती है …और इससे related भावना अन्दर पैदा होती हैं …..य़े सब इतनी तेजी से होता रहता हैं, हो सकता है आप इसे notice ना कर पाएं पर हमारा ये विचार ब्रह्माण्ड तुरंत catch कर लेता है और उसी के हिसाब से हमारी हकीकत बनाने में जुट जाता है .
Ok, तो आप ये तो समझ चुके होंगे कि आपको “पैसों की कमी ” वाली thought नहीं सोचनी चाहिए ,
क्योंकि ये तो वो चीजें है जो आप नहीं चाहते हैं …आप तो इसका Opposite चाहते हैं …” कि मेरे पास खूब पैसे हों ..”
Right…तो फिर आप इसे सोचिये …इसे हकीकत मान कर चलिए और ब्रह्माण्ड आपके जीवन में इसे Real बना देगा .

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